Introduction of the Indian Constitution in hindi - GK Trick

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Wednesday, 1 April 2015

Introduction of the Indian Constitution in hindi

भारतीय संविधान का संक्षिप्त परिचय


  • ·                                 भारतीय संविधान एक मौलिक कानूनी आलेख है जिसके अंतर्गत किसी देश की सरकार कार्य करती है | यह संविधान देश में विधायिकाकार्यपालिका एवं न्यायपालिका की व्यवस्था तथाउनके अधिकारों/ उत्तरदायित्वों को सुनिश्चित करता है 
  • ·                                 भारतीय संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा किया गया जिसकी अनुशंसा कैबिनेट मिशन (१९४६) द्वारा की गई थी |
  • ·                                 संविधान सभा का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धिति द्वारा हुआ था जिसमें राज्यों की विधानसभाओं में से प्रत्येक 10 लाख की जनसँख्या पर एक प्रतिनिधि चुना गया |
  • ·                                 संविधान सभा के लिए कुल प्रतिनिधि ३८९ (२९६ ब्रिटिश अधीन प्रान्तों से + ९३ देशी भारतीय रियासतों से) थे |
  • ·                                 संविधान सभा की प्रथम बैठक ९ दिसंबर १९४६ को नईदिल्ली स्थित काउन्सिल चेम्बर के पुस्तकालय भवन में हुई जिसके अस्थाई अध्यक्ष डॉ.सच्चिदानंद सिन्हा थे | ११ दिसम्बर १९४६ को डॉ राजेंद्र प्रसाद को स्थाई अध्यक्ष चुना गया |
  • ·                                 १३ दिसंबर १९४६ को संविधान का “उद्देश्य प्रस्तावप.जवाहरलाल नेहरु ने प्रस्तुत किया | जिसे २२ जनवरी १९४७ को संविधान सभा द्वारा स्वीकार कर लिया गया |
  • ·                                 संविधान की निर्माण प्रक्रिया में श्री बी.एन. राव को संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया तथा विश्व के ६० देशों के संविधान का अध्ययन किया गया |
  • ·                                 संविधान सभा में महिला सदस्य के रूप में सरोजनी नायडू एवं श्रीमति हंसा मेहता चुनी गई थी |
  • ·                                 संविधान का निर्माण ०९ दिसंबर १९४६ से २६ नवम्बर १९४९ के बीच कुल २ वर्ष ११ माह 18 दिन में पूर्ण हुआ २६ नवम्बर १९४९ को संविधान अंगीकृत/ग्रहण किया गया एवं २६ जनवरी १९५० को भारत में लागू हुआ |
  • ·                                 भारत के मूल संविधान में 22 भाग395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थीवर्तमान में 460 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियाँ है |
भारतीय संविधान में सम्मिलित विदेशी तत्व
1
संयुक्त राज्य अमेरिका
मौलिक अधिकार, ‘कानून का समान संरक्षण,  उप-राष्ट्रपति का पद एवं उसका राज्यसभा का पदेन सभापति होना, स्वतन्त्र न्यायपालिका,  न्यायिक पुनर्विलोकन एवं सर्वोच्च न्यायालय का संगठन एवं शक्तियाँ |
2
आयरलैंड
नीति निर्देशक तत्व, राज्यसभा में कलासमाजसेवासाहित्यविज्ञान के क्षेत्र से 12 सदस्यों का मनोनयन, आपातकाल उपबंध |
3
ब्रिटेन
संसदीय प्रणालीसंसदीय विशेषाधिकारएकल नागरिकताविधि का शासन, विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14) एवं राष्ट्रपति द्वारा अभिभाषण
4
आस्ट्रेलिया
समवर्ती सूची का प्रावधान, केंद्र-राज्यों के बीच शक्तिओं/अधिकारों का विभाजन
5
कनाडा
संघात्मक विशेषताएं, अवशिष्ट शक्तियां केंद्र के पास
6
दक्षिण अफ्रीका
संविधान संशोधन की प्रक्रिया
7
रूस
मौलिक अधिकारों की स्थापना
8
जापान
विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया

  • ·                     ·        संविधान सभा के सदस्यों ने २४ जनवरी १९५० को संविधान के अंतिम प्रारूप पर हस्ताक्षर किये एवं डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारतीय गणतंत्र का अंतरिम राष्ट्रपति चुना गया | इसी दिन सभा ने राष्ट्रगान (जन गन मन ) की घोषणा की थी |
  • ·        संविधान के निम्न 15 अनुछेद २६ नवम्बर १९४९ को ही लागू हो गए थे ५, , , , , ६०, ३२४, ३६६, ३६७, ३७२, ३८०, ३८८, ३९१, ३९२, ३९३ तथा शेष अनुच्छेदों को २६ जनवरी १९५० को लागू किया गया |
  • ·        भारतीय संविधान के अनुसार “भारत राज्यों का संघ” है |
  • ·        संविधान में वर्णित “नीति निर्देशक तत्वों” में लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा निहित है |
  • ·        भारतीय संविधान के अनुसार “राजनीतिक शक्ति का आधार” भारत की जनता है |
  • ·         भारतीय संविधान में "मूल कर्तव्यों" को ४२ वें संविधान  संसोधन (१९७६ )" द्वारा जोड़ा गया है | ४२ वें संविधान संसोधन को मिनी कांस्टीट्यूशन कहा जाता है ||
  • ·         भारतीय संविधान में एकल नागरिकता का प्रावधान किया गया है |
  • ·        डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अनुच्छेद ३२ (संवैधानिक उपचारों का अधिकार)को भारतीय संविधान का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हुए इसे “संविधानिक की आत्मा” कहा है | नागरिकों के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है | यदि किसी नागरिक को लगता है की संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का शासन, प्रशासन अथवा संस्था द्वारा हनन किया जा रहा है तो वह उच्च न्यायलय या उच्चतम न्यायलय जा सकता है |
  • ·        उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों को मौलिक अधिकारों का संरक्षक कहा जाता है |
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